विशेष भाग्य रेखा
हाथ में अंगुलियों के पास, हृदय रेखा के ऊपर, वृहस्पति, शनि व सूर्य के नीचे एक रेखा देखी जाती है। कई व्यक्ति इस रेखा को शुक्र मुद्रिका समझते हैं, परन्तु यह शुक्र मुद्रिका न होकर विशेष भाग्य रेखा होती है। यह रेखा सुख, प्रसिद्धि एवं समृद्धि का लक्षण है। यह हाथ का मुल्य बढ़ाने वाली और छोटी होने पर भी अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। वृहस्पति से सूर्य के नीचे तक इसकी स्थिति अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है और इसी स्थिति में यह सर्वोत्तम मानी जाती है।
शुक्र मुद्रिका शनि की अंगुली के पास से आरम्भ होकर सूर्य व बुध की अंगुली के बीच जाती है। परन्तु विशेष भाग्य रेखा मुड़ कर सूर्य के अंगुली पर नहीं जाती। कई बार टूटी शुक्र मुद्रिका का एक भाग भी ऐसा ही लगता है अत: सावधानी से इसका निर्णय कर लेना चाहिए। इसकी उपस्थिति में जंघा पर तिल होता है यही इस लक्षण की पुष्टि है।
सूर्य, शनि व वृहस्पति पर विशेष भाग्य रेखा होने पर व्यक्ति जीवन में विशेषता रखते हैं और व्यक्तिगत गुणों के आधार पर ही उन्नति करते हैं। खोज करने वाले, लेखक, राजनीतिज्ञ व राजदूत आदि के हाथों में ऐसी रेखाएं देखी जाती हैं। यें रेखाएं उच्च पदस्थ सरकारी कर्मचारीयों, विशिष्ट पदों पर कार्य करने वाले, लिमिटेड कम्पनियों के प्रशासकों, सेना के अधिकारी व उद्योगपतियों के हाथों में पाई जाती हैं। इसके साथ गोलकार जीवन रेखा, एक से अधिक भाग्य रेखाएं व हाथ सुन्दर भी हो तो क्या ही कहना? वस्तुत: यह रेखा अन्य सभी रेखाओं व लक्षणों का मुल्य बढ़ा कर कई गुणा कर देती है।
विशेष भाग्य रेखा होने पर व्यक्ति की नौकरी का स्तर अपेक्षाकृत ऊचा होता है, ये अपने कार्य में स्वतंत्र होते हैं। अक्सर देखा जाता है कि इनके ऊपर कोई दूसरा अफसर या उच्च अधिकारी नहीं होता, यदि होता भी है तो वह इनके लिए रुकावट नहीं बनता, इनका व्यक्तित्व स्वतंत्र होता है। वृहस्पति पर जीवन रेखा से रेखाएं जाने और भाग्य रेखाएं अनेक होने पर ऐसे व्यक्तियों की प्रत्येक इच्छा पूर्ण होती है व्यापारियों के हाथों में ऐसा होने पर बड़े व्यापारी होते हैं। छोटा या प्रशासक हाथ होने पर ऐसे व्यक्ति विभाग के प्रमुख अधिकारी जैसे डायरेक्टर, चेयरमैन, स्वामी या प्रबन्धक होते है। बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकार सम्पन्न व्यक्तियों, नेताओं व पुलिस अफसरों के हाथों में भी ऐसी रेखाएं होती हैं।
इस रेखा की पुष्टि का चिन्ह जंघा पर तिल होता है। एक हाथ में यह रेखा होने पर उस से दूसरी जंघा पर तिल पाया जाता है।
बुध की अंगुली का नाखून छोटा व चौकोर हो तो विशेष भाग्य रेखा वाले व्यक्ति राजनैतिक जीवन में ख्याति प्राप्त करते हैं, या तो ये चुनाव लड़ते हैं या योग्यता के आधार पर मनोनीत किये जाते हैं। निर्विरोध चुने जाने वाले व्यक्तियों के हाथों में भी ऐसी ही रेखाएं होती हैं। ऐसे व्यक्ति किसी संस्था के प्रधान या मंत्री भी होते हैं।
हाथ निकृष्ट होने पर विशेष भाग्य रेखा हो तो अपने ही स्तर के व्यक्तियों में सम्मान प्राप्त करते हैं और उनका मार्ग-दर्शन करते हैं परन्तु हाथ उत्तम होने पर ऐसे व्यक्ति सेना नायक, शासन-शक्ति सम्पन्न, शोधकर्ता व असाधारण मानसिक दक्षता रखने वाले होते हैं। कलाकार, वैद्य, डॉक्टर, प्रोफेसर, वकील, इन्जीनियर, सलाहकार, एडीटर इत्यादि बोद्धिक गुण सम्पन्न व्यक्तियों के हाथों में ये रेखाएं होती हैं। ये अपने कार्य को पूरे उत्तरदायित्व के साथ पूर्ण करते हैं और जिस कुल में पैदा होते हैं उसका नाम ऊंचा करते हैं।
विशेष भाग्य रेखा होने पर चन्द्रमा से भाग्य रेखा निकल कर शनि पर जाती हो तो चुनाव लड़ते हैं। ऐसे व्यक्तियों का वंशानुगत धन्धा व्यापार होता है। भाग्य रेखा यदि हृदय रेखा पर रुकती हो तो जन सम्पर्क का लक्षण है, जिसके कारण व्यक्ति को लोकप्रियता व प्रसिद्धि प्राप्त होती है, धन का लाभ नहीं होता।
ऐसी भाग्य रेखा विशेष लम्बी होने पर व्यक्ति की रुचि साहित्य सृजन की ओर होती है। उच्च कोटि के लेखक व पत्रकारों के हाथों में भी यह रेखा पाई जाती है। मस्तिष्क रेखा दोहरी, द्विभाजित या शाखान्वित होने पर ऐसे व्यक्ति साहित्य सृजन करते हैं। शुक्र या चन्द्रमा उन्नत होने पर श्रृंगार-साहित्य, परन्तु बुध की अंगुली छोटी व तिरछी होने पर गन्दे साहित्य का निर्माण करते हैं। मस्तिष्क रेखा चन्द्रमा पर या उसकी ओर जाती हो तो भी व्यक्ति की रुचि श्रृंगार-साहित्य सृजन की ओर होती है। हाथ लम्बा व अंगुलियां लम्बी होने पर उत्तम, सैद्धान्तिक व लोकोपयोगी साहित्य का सृजन होता है। वृहस्पति की अंगुली बड़ी, हाथ कोमल व सभी ग्रह उन्नत होने पर भी ये सुन्दर व लोकोपयोगी साहित्य का निर्माण करते हैं। ऐसे व्यक्तियों का साहित्य निश्चित रूप से ही समाज में सम्मान प्राप्त करता है। हाथ में दोष होने पर उत्तम और मध्यम दोनों प्रकार के साहित्य सृजन करते हैं।
बुध की अंगुली तिरछी, वृहस्पति और बुध की अंगुलियों के नाखून छोटे व चौकोर होने पर व्यवहारिक विशेषता पाई जाती है। ऐसे व्यक्ति ज्योतिषी, हस्तरेखाविद्, वक्ता व उत्तम कोटि के आलोचक या पारखी होते हैं। बुध और शनि का नाखून छोटा होने पर धार्मिक, आत्मज्ञान या कृषि सम्बन्धी साहित्य का सृजन करते हैं। शनि श्रेष्ठ व शनि की अंगुली लम्बी होने की दशा में व्यक्ति धातु सम्बंधी या आध्यात्मिक साहित्य का निर्माण करते देखे जाते हैं। कुछ भी हो कोई न कोई बौद्धिक विशेषता रखते हैं। रेखाओं में दोष होने पर दोष के अनुसार इनके स्वभाव में कोई न कोई लक्षण पाया जाता है तो भी समय आने पर अपनी विशेषता प्रकट करते हैं। ये अपने कुटुम्ब में अपने समय तक सब से अधिक शिक्षा लेते हैं यद्यपि शिक्षा से इस रेखा का कोई सम्बंध नहीं है। हाथ के लक्षण उत्तम होने पर विशेष भाग्य रेखा हो तो व्यक्ति चाहे अशिक्षित ही हो धनी-मानी व प्रभावशाली होते हैं।
साभार
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कबीर के दोहे
बस, ऐसे ही पूछ लिया !!!