खमदार जीवन रेखा
जब जीवन रेखा इस प्रकार की हो कि उसमें एक मोड़ दिखाई पडे़ तो वह खमदार जीवन रेखा कहलाती है। जीवन व मस्तिष्क रेखा मिली हुई होने पर देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन रेखा का उदय मस्तिष्क रेखा से ही शनि के नीचे से हुआ है। परन्तु जब मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग होकर निकलती है तो जीवन रेखा कुछ दूरी तक मस्तिष्क रेखा के समानान्तर चल कर, मोड़ खाकर मस्तिष्क रेखा से अलग होती है। ऐसी रेखा को खमदार रेखा कहते हैं। ऐसी जीवन रेखा दोनों हाथ में कम ही देखी जाती है। अक्सर एक ही हाथ में ऐसी रेखा देखने में आती है तथा एक बाप की एक ही सन्तान के हाथ में यह रेखा पाई जाती है। दोनों हाथों में ऐसे लक्षण होने पर यह विशेष फलकारी होती है।
ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में विशेष सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं। साधारण हाथों में यदि अन्य लक्षणों के साथ-साथ खमदार जीवन रेखा हो तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पहले के अनुपात में तीन गुणी अच्छी होती है। अत: यह लक्षण आर्थिक दृष्टि से बहुत ही उत्तम माना जाता है। दोनों हाथों में खमदार जीवन रेखा होने पर तो अभूतपूर्व आर्थिक स्थिति होती है। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि ऐसे व्यक्ति देर से स्थायित्व प्राप्त करते है। भाग्य रेखा व अन्य अच्छे लक्षण होने पर आरम्भ से ही स्थायित्व प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत धनी रहते हैं, परन्तु खम का समय निकलने के पश्चात् ही यह सब उपलब्धि देखी जाती है। जिस समय तक खम रहता है रुकावट, परेशानी, धन की कमी, विरोध तथा रोग आदि का सामना करना पड़ता है।
ऐसे व्यक्ति क्रोधी, सीधे, परवाह न करने वाले, स्वतन्त्र मस्तिष्क व कुटुम्ब के लिए त्याग करने वाले होते हैं। ये किसी पर निर्भर रहना पसन्द नहीं करते। आरम्भ में नौकरी करते हैं तथा अवसर मिलते ही व्यापार में चले जाते हैं। ये इरादे के पक्के होते हैं। हाथ में अधिक अच्छे लक्षण होने पर या तो पहले कुटुम्ब के व्यापार में रह कर बाद में स्वतन्त्र हो जाते हैं या पहले नौकरी के द्वारा अपनी स्थिति बना कर व्यापार में चले जाते हैं।
स्त्री होने पर ऐसी स्त्रियां स्वतंत्र मस्तिष्क, जिद्दी, पति के चरित्र पर शक करने वाली होती हैं। इनका पति को से घर से बाहर रहने की आदत होती है या परिस्थितिवश घर से बाहर रहता है। ऐसी स्त्रियां अपने सास-ससुर के साथ रहना पसन्द नहीं करती और अपने पति को अलग रहने की राय देती हैं। ये छोटी बातों को भी अधिक महसूस करने वाली होती हैं। आरम्भ में दाम्पत्य जीवन मोड़ की आयु तक कलहपूर्ण रहता है।
इनका स्वयं का स्वास्थ्य मध्य आयु में ठीक नहीं रहता तथा इसका प्रभाव एक बच्चे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इनके आने वाली पीढ़ी में लम्बाई अपेक्षाकृत अधिक पाई जाती है। इस लक्षण से कान व पेट में दोष, घुटनों में दर्द, पत्नी को गर्भाशय दोष व स्वयं को अण्डकोष में दर्द तथा दांतों में रोग पाये जाते हैं। हाथ कठोर होने पर यदि खमदार जीवन रेखा में गोलाई न होकर सीधी हो तो कमर की हड्डी में दोष होता है। अक्सर देखा गया है कि कमर की हड्डी अपने स्थान से खिसक जाती है तथा उसका ऑपरेशन कराना पड़ता है। वस्तुत: ऐसे व्यक्तियों के शरीर में कैलशियम की कमी होती है। बुढ़ापे में इनकी कमर झुक जाती है।
इतना अवश्य कहा जा सकता है कि ये साधारण व्यक्तियों से विशेष धनी और प्रतिष्ठित होते हैं।
टूटी हुई जीवन रेखा
जीवन रेखा का टूटना एक दोष है। यह लक्षण विशेष शारीरिक कष्ट का निर्देश करता है। यदि टूटी जीवन रेखा के साथ किसी दूसरी रेखा में कोई दोष हो तो भयंकर रोग होता है। टूटी जीवन रेखा से सारे शरीर में दर्द रहता है। ऐसे व्यक्तियों के शरीर में वायु प्रधान होती है। इसके साथ-साथ यदि मस्तिष्क रेखा में भी दोष हो तो शरीर भारी हो जाता है तथा सिर में भारीपन बना रहता है। यह स्वयं को तथा वंश में नजला व दमा का कारण होता है। यदि कठोर हाथ में जीवन रेखा टूटी हुई हो तो ऐसे व्यक्ति को रीढ़ में रोग होता है। विशेषतया जब जीवन रेखा शनि के नीचे टूटी हो तो रीढ़ की हड्डी में टी॰बी॰ या अन्य कोई रोग पाया जाता है। जीवन रेखा टूट कर या बीच में पूरी होकर शुक्र की ओर जाती हो तो शरीर बहुत दुबला होता है। यह स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान फलदायी है। इससे ऐसा देखने में आता है कि कुटुम्ब में जो मृत्यु होती है लम्बी बीमारी के पश्चात् होती है।ऐसे व्यक्तियों का कोई भी कार्य बिना बाधा के नहीं होता। कार्य की पहले आशा समाप्त होकर बाद में कार्य होता है। ऐसे व्यक्ति कई बार काम बदलते हैं। टूटी हुई जीवन रेखा की आयु के पश्चात् ही व्यक्ति उन्नति करता है। ये क्रोधी होते हैं, दोष के पश्चात् इनका क्रोध भी कम हो जाता है। इन्हें पढ़ाई में रुकावट होती है, ये विषय बदलते हैं तथा कई परिवर्तन इनके जीवन में आते हैं।
जीवन रेखा टूटी होने पर भी यदि वह शुक्र को विशेष रूप से घेरती हो तो भी व्यक्ति धनी होता है। साथ ही यदि कोई रेखा टूटे हुए स्थान को ढकती हो तो निश्चय ही हानि के बजाय लाभ होता है। ऐसे व्यक्ति 4-5 काम बदलते हैं। साझेदारी व इधर-उधर घूम कर भी काम करते हैं और न तो एक स्थान पर जम कर रहते हैं और न ही बैठ सकते हैं।
एसी स्त्रियां स्वभाव की सीधी और भोली होती हैं तथा प्रभाव में आ जाती हैं। इनके साथ कोई व्यक्ति जरा भी सहानुभूति-पूर्ण बातचीत या व्यवहार करे तो ये सब भूल कर उस पर विश्वास कर लेती हैं।
टूटी जीवन रेखा होने पर मस्तिष्क रेखा यदि बहुत अच्छी हो तो व्यक्ति में प्रपंच व छल-कपट की मात्रा बढ़ जाती है। हृदय रेखा में दोष, अंगुलियां छोटी, हाथ में वृहस्पति की अंगुली विशेष छोटी हो तो ऐसे व्यक्ति की चाल-ढाल व बातचीत में भी धोखा और बदमाशी होती है। धोखे से ही कमाने वाले जैसे तस्करी, चोरी तथा गलत कामों की दलाली आदि करते हैं। ये प्रपंची होते हैं।
यदि जीवन रेखा टूट कर एक दूसरी के ऊपर चढ़ी हो अर्थात् टूटने से पहले ही दूसरा भाग आरम्भ होता हो तो यह थोड़े संघर्ष का ही कारण होती है। शेष इससे धन, सन्तान आदि सभी प्रकार का सुख रहता है यह पेट के ऑपरेशन का भी लक्षण होता है। टूटी जीवन रेखा यदि किसी चतुष्कोण के द्वारा आच्छादित हो तो दोषपूर्ण फल केवल नाम मात्र का होता है।
जीवन रेखा वृहस्पति के नीचे टूटी हुई
उपरोक्त दोष से बच्चों के गले में रोग, स्वयं को अपेन्डीसाइटिस या आंतो के रोग पाये जाते हैं। कोई बच्चा तुतला कर बोलता है। सन्तान के चोट लग कर हड्डी आदि भी टूटती है। ऐसों के बच्चे रोते बहुत हैं तथा उनके कान में बीमारी होती है। स्त्री होने की दशा में इन्हें गर्भपात अधिक होते हैं तथा कहीं से गिर का चोट लगती है। इस दोष से अक्सर जिस हाथ में जीवन रेखा टूटी हो उससे दूसरे कन्धे में चोट आती है।जीवन रेखा शनि के नीचे टूटी हुई
इस प्रकार की जीवन रेखा रीढ़ की हड्डी के रोग या फेफडे़ के रोग का निश्चय करती है। हाथ कठोर है तो रीढ़ की हड्डी में टी॰बी॰ या उसकी एक हड्डी अपने स्थान से खिसक जाती है। जीवन रेखा पतली होकर टूटी हो और दोनों टूटे हूए भाग एक बहुत पतली रेखा से जुड़ते हों तो ऐसे व्यक्ति गोली से बचते हैं। यदि ये सेना में नौकरी करते हैं तो निश्चय ही यह फल कहा जा सकता है।जीवन रेखा सूर्य के नीचे टूटी हुई
इस अवस्था में आंखें कमजोर व उसमें मोतिया उतर जाता है, बुढ़ापे में कमर झुक जाती है। यदि भाग्य रेखा में दोष हो तो एक भाई धोखा देता है।जीवन रेखा में द्वीप
जीवन रेखा जब बीच में से फट कर आंख या जौ (यव) के दाने की तरह का चिन्ह बनाती है तो यह द्वीप कहलाता है।किसी भी रेखा में द्वीप होना अच्छा लक्षण नहीं है। इस प्रकार से जीवन रेखा द्वीप -युक्त होने पर उस समय में परेशानी, रोग, कर्ज, सन्तान का विछोह आदि समस्याएं जीवन में आती हैं।
जीवन रेखा का द्वीप जितना खराब फल आरम्भ तथा अन्त में करता है उतना दूसरे स्थान पर नहीं करता। इससे बीमारी, मृत्यु, कुटुम्ब के झगड़े तथा अन्य नुकसान होना पाया जाता है।
जीवन रेखा में कहीं भी द्वीप हो, यदि उस द्वीप को कोई रेखा ढक लेती है तो बुरा फल कम होता है, केवल थोड़ी सी मानसिक अशान्ति होकर ही खराब फल की समाप्ति हो जाती है। परन्तु यह दूसरी रेखा जीवन रेखा से बिल्कुल पास सटी हुई नहीं होनी चाहिए, यदि यह द्वीप चतुष्कोण से ढका हो तो फल नगण्य रह जाता है। जीवन रेखा में यदि गोल द्वीप हो, साथ ही मस्तिष्क रेखा भी दोष-पूर्ण हो तो उस अवस्था में आंखे खराब हो जाती हैं। आंखों का ऑपरेशन, अन्धापन, रतौन्धी आदि रोगों की सम्भावना रहती है।
जीवन रेखा के आदि और अन्त में द्वीप हो तो सारा जीवन कष्ट-मय रहता है। इन्हें बचपन में मां-बाप का सुख नहीं मिलता।
जीवन रेखा के आरम्भ में द्वीप
जीवन रेखा में वृहस्पति के नीचे द्वीप हो और उससे कोई रेखा निकल कर वृहस्पति या शनि पर जाती है तो गले में खुश्की या छाले, टॉन्सिल तथा बचपन में डिप्थीरिया आदि रोग होते हैं। द्वीप के साथ-साथ यदि जीवन रेखा भी दोषपूर्ण हो तो यह लक्षण पितृदोष होता है। वंश का न चलने या सन्तान न होने में किसी प्रकार का दोष होना पितृदोष के ही कारण होता है।जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा दोनों के आरम्भ में द्वीप और दोनों का जोड़ लम्बा या दोनों जुड़ कर मोटी हों तो कान का ऑपरेशन या कान में किसी प्रकार का दोष होता है। वृद्धावस्था में ऐसे व्यक्ति के कान बिल्कुल ही खराब हो जाते हैं।
जीवन रेखा के आरम्भ में यदि लम्बा द्वीप होकर दो रेखाएं एक साथ जुड़ी जैसी लगती हों तो जुड़वा बच्चे होते हैं। इस दशा में दोनों रेखाएं मोटी हों तो दोनों लड़कियां, पतली होने पर लड़के तथा एक पतली व एक मोटी हो तो एक कन्या व एक पुत्र पैदा होता है।
जीवन रेखा में शनि के नीचे या मध्य में द्वीप
जीवन रेखा में शनि के नीच द्वीप होने पर यदि उस द्वीप से कोई रेखा ऊपर की ओर जाती हो तो कमर में दर्द होता है।सूर्य के नीचे जीवन रेखा में द्वीप (अंत में)
यह द्वीप आंख में कमजोरी पैदा करता है। द्वीप के स्थान पर यदि काला धब्बा हो तो भी बड़ी आयु में काला मोतिया उतरने से अन्धा होने की नौबत आ जाती है। मस्तिष्क रेखा में दोष हो तो ऑपरेशन होने पर भी आंख ठीक नहीं हो पाती।जीवन रेखा के अंत में द्वीप
जीवन रेखा के अन्त में शुक्र के पास कभी छोटा तथा कभी बड़ा द्वीप पाया जाता है। कई व्यक्ति इसे मत्स्य रेखा भी कहते हैं। परन्तु अपने अनुभव के आधार पर हम इसे द्वीप ही कहते हैं, क्योंकि जीवन में इसका उत्तम फल देखने में नहीं आता।जीवन रेखा के अन्त में बड़ा द्वीप हो तो व्यक्ति को मां-बाप में सें एक का सुख होता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने पैरों पर खड़ा होकर आगे बढ़ना पड़ता है। धूमना-फिरना अधिक होता है और इनका जीवन परिवर्तनशील होता है। यदि जीवन रेखा गोलाकार हो तो आर्थिक कठिनाई का समाधान होता रहता है। ऐसे व्यक्तियों के आरम्भिक जीवन में कोई विशेष कठिनाई नहीं होती, परन्तु 16-17वर्ष की आयु से या जबसे ये अपने पैरों पर खड़े होते हैं या शादी के पश्चात् इनके जीवन में कठिनाई आरम्भ होती है।
जीवन रेखा अधिक गोलाकार होने पर यदि यह द्वीप सुन्दर आकृति का हो तो मत्स्य रेखा कहलाती है। कटा-फटा होने पर इसका फल ठीक नहीं होता।
जन्जीराकार जीवन रेखा
जीवन रेखा पतली होकर छोटे-छोटे द्वीपों से मिल कर यदि जंजीर की आकृति बनाती हो तो शरीर में कोई न कोई दोष जैसे तुतलाना, स्नायु विकार, कम्पन, गूंगापन, फेफड़े खराब होना आदि पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वास्थ्य की ओर तो ध्यान देते हैं परन्तु सफाई के मामले में लापरवाह होते हैं। इनका कोई न कोई अंग भी बढ़ जाता है। हाथ भारी, जीवन रेखा गोलाकार व मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने पर दोषपूर्ण फल लेश मात्र होते हैं।यदि इस दशा में वृत्ताकार द्वीप जीवन रेखा में हो तो आंखों से अन्धा भी हो जाता है। यह निर्णय अवश्य कर लेना चाहिए कि इस अवस्था में व्यक्ति मर तो नहीं जाएगा। यह भी दोष है अत: दोषयुक्त जीवन रेखा के सभी फल यहां भी लागु किए जा सकते हैं। हृदय, मस्तिष्क व जीवन रेखा तीनों ही जंजीराकार हो तो जीवन शक्ति दुर्बल होती है तथा धन की स्थिति भी विशेष उत्तम नहीं होती एवं मानसिक सन्ताप बना रहता है।
जीवन रेखा में रोमांच
जीवन रेखा गोलाकार व दोष रहित होने की दशा में, छोटी-छोटी रेखाएं जीवन रेखा से निकल कर शनि की ओर जाती हैं। ये रेखाएं जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण फल प्रदान करती हैं। जिस आयु में ऐसी रेखाएं निकलती हैं उस अवस्था में विशेष फल-कारक होती हैं जैसे सन्तान उत्पत्ति, धन लाभ, पदोन्नति आदि। इन रेखाओं की लम्बाई 1/6 इंच, कोई-कोई एक इंच या कभी-कभी कोई एक शनि पर्वत पर भी जाती हुई देखी जाती है। विशेष भाग्य रेखा नहीं होने पर भी इन छोटी रेखाओं से वहीं उपलब्धि होती है जो किसी महत्वपूर्ण भाग्य रेखा से। जो हाथ रेखाओं के जाल से रहित होते हैं उनमें इन रेखाओं का भी बहुत महत्व होता है व जिन हाथों में रेखाएं बहुत अधिक होती हैं उनमें ये रेखाएं साधारण फल करती हैं।कुछ रोमांच जीवन रेखा के अन्दर की ओर से निकल कर शुक्र की ओर जाते हैं। ऐसी रेखाएं उस आयु में हानि का लक्षण हैं। यह धन, सन्तान व पद की हानि का संकेत है। परन्तु ऐसा ही रोमांच जब 1 इंच से लम्बा हो तो शुभ लक्षण माना जाता है तथा उस आयु से उन्नति का द्वार खोल देता है। एक ही आयु में यदि ऊपर और नीचे दो रोमांच निकलते हों तो हानि व लाभ का लेखा बराबर रहता है। जैसा है वैसा ही समय रहता है। यदि इस प्रकार की रेखा 2 इंच या अधिक लम्बी हो तो यह भाग्य रेखा कहलाती है। इनको मां-बाप का पूर्ण सुख नहीं रहता, इनके सम्बन्ध अपनी सन्तान से मित्रता-पूर्ण होते हैं। ऐसे व्यक्ति विशेष धनी होते हैं।
ऊपर से नीचे की ओर जाने वाले रोमांच अक्सर जीवन रेखा में भीतर की ओर ही देखे जाते हैं। बाहर की ओर ऐसे रोमांच देखने में नहीं आते जिस समय यह रोमांच निकल कर शुक्र की ओर चलते हैं उस समय में स्वास्थ्य खराब होना, कार्य में रुकावट, सन्तान हानि या सन्तान को कष्ट होना, सरकार से परेशानी होने आदि फल होते हैं। यह एक विशेष ध्यान रखने की बात है कि यह रेखा लम्बी नहीं होनी चाहिए। लम्बी होने पर यह जीवन रेखा की शाखा कहलाती है। जीवन रेखा गोलाकार होने पर मस्तिष्क रेखा अच्छी व हाथ बड़ा या भारी होने पर ये रोमांच दोषपूर्ण फल नहीं करते। यदि जीवन रेखा में उस समय कोई दोष है तो अधिक कष्ट कारक होते हैं।
द्विभाजित जीवन रेखा
जीवन रेखा आरम्भ में द्विभाजित
जीवन रेखा जिस समय मस्तिष्क रेखा से अलग होती है उस समय यदि यह दो भागों में बट जाए तथा चिमटे जैसी आकृति बनाए तो उसे द्विभाजित रेखा माना जाता है। यह वास्तव में द्वीप होता है। यहां विशेषतया यह ध्यान देने की बात है कि दोनों भाग एक-सी मोटाई के होने चाहिए। इस द्विभाजन से जीवन रेखा में सीधापन भी आ जाता है।यह लक्षण कुटुम्ब में कलह का प्रतीक है, जिसका कारण स्वयं की पत्नी होती है। यदि कुटुम्ब में केवल पति-पत्नी ही हैं तो अपने कारण भी कलह होती है। वास्तव में ऐसे व्यक्ति सही बात का पक्ष लेते हैं तथा बाद में सफल हाते हैं। घर वाले यह भी कहते हैं कि यह क्या कमा कर खायेगा। नालायक है, मां-बाप की सहायता नहीं करता, न ही कहना मानता है, परन्तु द्वीप का समय निकलने के पश्चात् सब झंझट समाप्त हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति माता-पिता के सेवक तो होते हैं परन्तु जिद्दी होते हैं। समय अनुकूल न होने से इन्हें श्रेय नहीं मिल पाता। पति पत्नी से और पत्नी पति से तंग रहते हैं। ऐसे व्यक्ति आरम्भ में शादी के विरुद्ध होते हैं।
जीवन रेखा की शाखा चंद्रमा पर
जीवन रेखा के अन्त में उससे निकल कर कोई रेखा यदि चन्द्रमा पर या चन्द्रमा की ओर जाती हो तो यह रेखा व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन का द्योतक होती है। ऐसे व्यक्ति जन्म भूमि से दूर अपना मकान या सम्पत्ति आदि बनाते हैं तथा मृत्यु भी जन्म स्थान से दूर ही होती है। इनके कुटुम्ब में से कोई व्यक्ति घर छोड़ कर चला जाता है, हाथ अच्छा होने पर वापिस आ जाता है। यदि अंगुलियां अधिक लचीली या अधिक सख्त हों तो यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है। ऐसे व्यक्ति वृद्धावस्था में धनी हो जाते हैं।जीवन रेखा अन्त में द्विभाजित होकर यदि उसकी शाखाएं चन्द्रमा पर जाती हों तो ऐसे व्यक्ति नौकरी से जीवन यापन करते हैं। यदि ये दोनों रेखाएं शुक्र को घेर कर कलाई की ओर जाती हों तो व्यापार ही करते देखे जाते हैं। परन्तु, यदि इन दोनो शाखाओं में से एक कलाई की ओर तथा एक चन्द्रमा की ओर जाती हो तो नौकरी व व्यापार दोनों ही करते हैं।
शुक्र को काटती जीवन रेखा
कई बार ऐसा देखने में आता है कि जीवन रेखा शुक्र को अधिक न घेर कर शुक्र के ऊपर से होकर गुजरती है। या तो यह शुक्र पर जा कर बिना किसी आधार के समाप्त हो जाती है या फिर नीचे जा कर पूरी होती है। सन्तान के लिए यह अच्छा लक्षण नहीं माना जाता जीवन रेखा टूट कर शुक्र की ओर जाती हो तो शरीर दुबला होता है।जिस आयु में जीवन रेखा शुक्र को काटती है उस समय में यदि मस्तिष्क रेखा भी दोष पूर्ण हो व हृदय रेखा की शाखा भी मस्तिष्क रेखा पर मिलती हो तो सन्तान, धन व स्वास्थ्य की परेशानी जीवन में होती है। यह समय जीवन में सब से अधिक कष्ट कारक होता है। मृत्यु, कर्ज व यहां तक की रोटी के लाले पड़ते देखे गये हैं।
मस्तिष्क रेखा बहुत अच्छी होने पर यदि जीवन रेखा शुक्र को काटती हो, साथ ही जीवन रेखा व हृदय रेखा में भी दोष हो तो ऐसे व्यक्ति प्रपंच करने वाले होते हैं। झूठी कहानी रच कर दूसरों को प्रभावित करने वाले, अनेक प्रकार के स्वांग रचने वाले, मक्कार व दुष्ट होते हैं।
जीवन रेखा यदि सीधी ही शुक्र को काटती हो तो सन्तान नहीं होती। स्त्रियों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। शुक्र को काटने वाली जीवन रेखा वाले व्यक्ति कामुक होते हैं। इन्हें स्वयं को वीर्य दोष होता है। यदि एक हाथ में जीवन रेखा की दशा ठीक हो तो बड़ी आयु में वीर्य दोष हो जाता है। ऐसे व्यक्ति बहुत मन्द आर्थिक उन्नति करते हैं।
जीवन रेखा को काटती हुई रेखाएं
जब कोई रेखा मंगल से निकल कर जीवन रेखा को काटती हुई मस्तिंष्क रेखा पर शनि के नीचे रुक जाए और दोनों हाथों में एक ही स्थान पर इस प्रकार का लक्षण हो तो ऐसी रेखाएं महान् खराब होती है। इस लक्षण से व्यापार में हानि, साझे से नुकसान, सरकारी झगड़ा, स्थान परिवर्तन, किसी की मृत्यु या बीमारी, स्वयं को चोट लगना, किसी की हत्या या आत्म हत्या करने का प्रयत्न करना आदि फल होते हैं। यदि शनि के नीचे जीवन रेखा से कोई गहरी रेखा निकल कर मस्तिष्क रेखा पर रुकती हो तो बरबादी का कारण होती है। उपरोक्त फल तो होते ही हैं।जिस समय तक ये छोटी-छोटी रेखाएं जीवन रेखा को काटती हैं उस समय तक परेशानी चलती ही रहती है। यदि रेखाएं गहरी हों तो किसी साझेदार, रिश्तेदार या कुटुम्ब के व्यक्ति से विरोध आदि रहता है। इन रेखाओं का इस अवस्था में मस्तिष्क रेखा को छूना जरूरी है। यदि इन रेखाओं से मस्तिष्क रेखा के साथ कोई बड़ा सा द्वीप बनता हो तो और भी दोषपूर्ण है। इस समय यदि व्यक्ति नौकरी में हो तो उन्नति में रुकावट, व्यापार में झगड़ा, काम में रुकावट, पड़ौसी या किसी किराएदार से झगड़ा आदि चलता है। यदि मस्तिष्क रेखा में भी थोड़ा दोष हो तो इस झगड़े के कारण स्थान परिवर्तन करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति क्रोधी होते हैं व क्रोध करना छोड़ दें तो सब झंझट खत्म हो जाते हैं।
जीवन रेखा को गहरी रेखायें दूर-दूर तक काटती हों तो इनकी कई से दुश्मनी होती है। यदि शुरू से ही जीवन रेखा को गहरी रेखाएं काटती हों तो प्रारम्भ से ही झगड़ेबाजी का लक्षण है तथा यह उम्र भर चलता रहता है। भाग्य रेखा यदि हृदय रेखा पर रुकी हो तो यह विरोध 50 वर्ष की आयु तक चलता है। इनका पेट भी खराब होता है।
- जीवन रेखा में यदि गड्ढा हो तो आंख फूटने से बचती है, दूसरे लक्षण भी खराब हों तो फूट ही जाती है।
- यदि जीवन रेखा में स्थान-स्थान पर धब्बे या गड्ढे हों तो ऐसे व्यक्ति का काम स्थायी नहीं रहता, इनके पेट में अम्ल होता है। जीवन साथी से आदत नहीं मिलती, ये धब्बे हाथ के मुल्यांकन में हृास का लक्षण होते हैं।
- जीवन रेखा में यदि त्रिकोण हो, चाहे कैसा ही हो व किन्हीं रेखाओं से मिल कर बना हो तो व्यक्ति सम्पत्ति निर्माण करता है। त्रिकोण सुन्दर हो तो मकान सुन्दर और त्रिकोण साधारण हो तो मकान साधारण कोटि का होता है। मकान अवश्य ही होता है तथा साधारण रूप से बनाये जाने वाले मकानों से बड़ा होता है।
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