जीवन रेखा - Life Line # 1

जीवन रेखा  #1

जीवन रेखा जितनी ही गोल, सुडौल, देखने में सुदृढ़ तथा दोषमुक्त होती है उतनी ही अच्छी कहलाती है। यह धन, सन्तान, जीवन साथी व सुखी कुटुम्ब के लिए उत्तम फलदायी होती है। दूसरी ओर यह जितनी ही पतली, कम गहरी, कहीं से मोटी, कहीं से पतली, गोलाकार न हो कर आड़ी रेखाओं से कटी-फटी, काली, लाल आदि होती है उतनी ही व्यक्ति को जीवन में धन, स्वास्थ्य तथा दूसरी समस्याएं देती रहती है।

जीवन रेखा में चतुष्कोण व त्रिकोण खतरों से रक्षा करते हैं। जीवन रेखा को अन्दर अर्थात् मंगल या शुक्र की ओर से आकर छोटी-छोटी रेखाएं काटती या छूती हों तो व्यक्ति को अधिक जिम्मेदारी के कारण मानसिक चिन्ता रहती है। यदि ये रेखाएं गहरी हों तो कुटुम्ब वालों से दुश्मनी आदि रहती है। पतली होने से बाहर के व्यक्ति विरोध करते हैं। यही लक्षण बताते हैं कि व्यक्ति का पेट खराब है।

जीवन रेखा दोनों हाथों में समान सुन्दर हो तो निश्चय ही शुभ लक्षण है। जीवन रेखा यदि न सीधी न गोलाकार हो तो ऐसे व्यक्ति का जीवन मध्यम श्रेणी का होता है। जायदाद का सुख भी मध्यम होता है तथा सन्तान भी मध्यम सुख देती है।

जीवन रेखा दोनों हाथों में एक जैसी गोलाकार अथवा सीधी हो तो जीवन की आर्थिक तथा अन्य परिस्थितियों में कम हेर-फेर होता है। जिस आयु में जीवन रेखा में अन्तर आरम्भ होता है, अर्थात् जीवन रेखा अच्छी हो जाती है, जीवन में भी उत्थान होना आरम्भ हो जाता है।

जब-जब जीवन रेखा में लाल निशान होता है धन का अपव्यय, मुकदमा, दुर्घटना, रिश्तेदारी में मृत्यु आदि कष्ट सामने आते हैं।
निर्दोष जीवन रेखा (गोलाकार)

जीवन रेखा जितनी ही सुडौल, दोष रहित तथा गोलाकार होकर शुक्र को घेरती है उतनी ही उत्तम मानी जाती है। उतना ही जीवन में धन, सन्तान, पद, पत्नी व कुटुम्ब का सुख करती है। निर्दोष जीवन रेखा स्वास्थ्य को भी निर्दोष रखती है।

उत्तम जीवन रेखा के साथ एक से अधिक भाग्य रेखा और ग्रह उठे हुए हो तो व्यक्ति दानी होता है। जीवन रेखा जितनी गोलाकार होती है व्यक्ति का भार बढ़ता जाता है। समय का अनुमान भाग्य रेखा से लगाना होता है। जिस समय में भाग्य रेखा पतली होना आरम्भ होती है उसी आयु से व्यक्ति का भार बढ़ना आरम्भ होता है। गोलाकार जीवन रेखा होने पर सन्तान अधिक होती हैं तथा दो सन्तानों के बीच का अन्तर भी कम होता है। इनकी पत्नी का स्वास्थ्य कुछ नरम रहता है और उसका भी भार बढ़ जाता है।

गोलाकार जीवन रेखा वाले व्यक्ति धन संचय में चतुर होते हैं। इनके पास धन आदि का बाहुल्य तो रहता ही है साथ ही साथ ये समझदार भी होते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा भी अच्छी हो तो बहुत ही सोच समझ कर खर्च करने वाले होते हैं।

एक बात बहुत ही समझने की है कि यदि हाथ में शुक्र ग्रह विशेष उन्‍नत हो तो जीवन रेखा के गुणों को कम कर देता है। शुक्र उन्‍नत होने पर जीवन बनने में देर लगती है और 35वर्ष के बाद ही गोलाकार जीवन रेखा का फल मिल पाता है।

जीवन रेखा यदि इतनी गोलाकार हो कि शनि क्षेत्र को भी घेर ले तो इससे धन की स्थिति तो अच्छी रहती है परन्तु क्रोध व लालच बढ़ जाता है। ऐसे व्यक्तियों के पेट में अम्ल का प्रभाव रहता है।

गोलाकार जीवन रेखा वाले व्यक्ति का स्वभाव विनम्र, शान्तिप्रिय, प्रेमी तथा उदार देखा जाता है। ऐसे व्यक्ति अपने कुटुम्बी जनों तथा अपने बच्चों से बहुत प्रेम करते हैं।

गोलाकार जीवन रेखा में त्रिकोण हो और साथ ही हाथ में गोद की सम्पत्ति आने का लक्षण हो तो पितृ पक्ष से सम्पत्ति मिलती है। यदि यह त्रिकोण मस्तिष्क रेखा में हो तो मातृपक्ष से सम्पत्ति प्राप्त होने का योग होता है। मस्तिष्क रेखा सुन्दर, भाग्य रेखा ठीक, अंगुलियां छोटी व पतली, हाथ चमसाकार या समकोण होने पर शीघ्र ही सम्पत्ति बना भी लेते हैं।

गोलाकार जीवन रेखा व भाग्य रेखा इससे दूर हो तो उसी समय तक शान्ति रहती है जब तक कुटुम्ब बढ़ता नहीं, कुटुम्ब बढ़ने पर खर्च भी बढ़ता है।

जीवन रेखा का निकास

जीवन रेखा का निकास वृहस्पति, मंगल या इन दोनों के मध्य से ही होता है। निकास का प्रभाव जीवन रेखा के फल पर अवश्यपड़ता है। खमदार जीवन रेखा का निकास शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा से होता है।

वृहस्पति से उदित जीवन रेखा


जब जीवन रेखा वृहस्पति से उदय होती है तो व्यक्ति में उच्च विचार, सभ्यता, स्वात्माभिमान, स्वतंत्र शासन की प्रवृत्ति, स्वतंत्रव्यक्तित्व आदि गुण पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्ति न किसी के बीच में बोलते हैं और न ही यह पसन्द करते हैं कि कोई इनके बीच मेंहस्तक्षेप करे। स्वतंत्र व्यक्तित्व होने के नाते घर के लोगों से भी इनके विचार कम मिलते हैं। इनको कोई भी बात फौरन ही खटक जातीहै तथा देर तक सोचने की आदत होती है।

वृहस्पति से निकली जीवन रेखा गोलाकार भी हो तो सुख तथा उन्‍नति कारक होती है। स्त्री, सन्तान तथा कुटुम्बी सभी दीर्घायु होतेहैं। ऐसे व्यक्ति छोटा कार्य करने में लज्जा अनुभव करते हैं। ये हमेशा ही उन्‍नति की ओर अग्रसर होते हैं व जन्म के पश्चात् कुटुम्ब कीउन्‍नति होती है और अन्त तक रहती है।

मंगल से उदित जीवन रेखा

मंगल से उदय होने पर जीवन रेखा वैसे तो कभी दु:ख व कभी सुख देने वाली होती है परन्तु चिड़चिड़े स्वभाव के क्रोधी, शंकालुतथा चुनौती देने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति लालची भी होते हैं और पेट में अम्ल का प्रभाव पाया जाता है। इन्हें डिक्टेटरशिप पसन्द होतीहै। ये कभी-कभी चर्मरोग से पीड़ित भी देखे जाते हैं और बचपन में रोगी रहते हैं।

वृहस्पति और मंगल के बीच से उदित जीवन रेखा

इस जीवन रेखा में मंगल और वृहस्पति दोनों का ही प्रभाव पाया जाता है। ऐसे व्यक्ति उन्‍नति करने वाले, शान्त और क्रोधी अर्थात्समय के अनुसार बर्ताव करने वाले होते है। ये किसी भी प्रकार का छोटा या बड़ा कार्य नि:संकोच कर सकते हैं, अत: शीघ्र ही उन्‍नति करजाते हैं।

दोहरी जीवन रेखा

हाथ में जीवन रेखा के साथ एक दूसरी समानान्तर जीवन रेखा भी देखने में आती है। कई बार यह रेखा पूरी की पूरी जीवन रेखा के साथ चलती हैऔर कभी आरम्भ से शुरू होकर कुछ समय तक या मध्य से आरम्भ होकर कुछ समय तक रहती है। फल कहने से पहले हमें भली-भांति निर्णय कर लेनाचाहिए कि जिस रेखा का हम फल बता रहे हैं वह वास्तव में जीवन रेखा ही है। इस दूसरी जीवन रेखा की मोटाई मुख्य जीवन रेखा जैसी ही होती है।

दोहरी जीवन रेखा यदि यह निर्दोष है तो जीवन में सुख, शान्ति, धन, प्रतिष्ठा देती है तथा खतरों से रक्षा करती है। इस दशा में यदि हाथ काआकार चौड़ा, भारी व मांसल हो तो विपुल धन-सम्पत्ति प्राप्त होती हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में असाधारण उन्‍नति करने वाले व अपने पूरे कुटुम्ब के लिए वरदान सिद्ध होते हैं।

यदि जीवन रेखा अन्त में दोहरी हो तो जिस आयु से दोहरी जीवन रेखा का समय आता है व्यक्ति उन्‍नति शुरू करता है। यदि जीवन रेखा आरम्भमें अन्दर की ओर दोहरी हो तो उस रेखा के समाप्त होने के पश्चात् ही मनुष्य जीवन में विशेष उन्‍नति कर सकेगा और यदि जीवन रेखा के भीतर की ओरअन्त में जीवन रेखा दोहरी हो तो दोहरी जीवन रेखा का समय आरम्भ होने पर ही अधिक उन्‍नति होती है। ऐसी जीवन रेखा सन्तान उत्पत्ति में बाधक होती है। दोनों जीवन रेखाएं मिल कर यदि एक बड़ा द्वीप बनाती हैं तो स्वयं या कोई रिश्तेदार हवाई दुर्घटना से बचता है। दोनों हाथों में ऐसा हो तो स्वयं के साथ घटित होती है।

जीवन रेखा यदि बिल्कुल पास में दोहरी होकर समानान्तर हो और दोनों जीवन रेखाओं का अन्तर 1/4 इंच से अधिक न हों ता ऐसा व्यक्तिजीवन भर दोहरे वैवाहिक सम्बन्ध रखता है। यह बात विशेष रूप से ध्यान में रखने की है कि दो जीवन रेखा होने पर दोनों जीवन रेखाओं में मोटेपन काविशेष अन्तर नहीं होना चाहिए अर्थात् दोनों जीवन रेखा लगभग एक-सी मोटी होनी चाहिए।

यदि जीवन रेखा अन्त में दोनों ओर से दोहरी हो तो व्यक्ति को किसी से व्यापार में सहयोग मिलता है या ऐसे व्यक्ति किसी दूसरे के आश्रित रहकर पलते, पढ़ते हैं या काम शुरू करते हैं। अन्त में ऐसे व्यक्ति बहुत धनी हो जाते है तथा उन्नती करते हैं।

दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति विवाह के बाद तरक्की करते हैं। यदि इनकी भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा पर रुकी हो तो ये या इनकी संतान कईबार विदेश यात्रा करते हैं।

दो से अधिक जीवन रेखाएं होने पर व्यक्ति सफल तो अधिक होता है परन्तु उसके जीवन में अड़चनें और खतरे अधिक आते है। दो जीवन रेखाओंमें से एक यदि वृहस्पति व एक मंगल से निकले तो व्यक्ति दो स्वभाव का पाया जाता है जैसे क्रोधी एवं स्वाभीमानी परन्तु अवसर देख कर कामनिकालने वाल होता है।

तीन जीवन रेखाएं होने पर व्यक्ति स्वजातीय प्रतिष्ठित वंश में पैदा होते है। बात अधिक करते हैं तथा इन्हें क्रोध अधिक आता है।

दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति स्वास्थ्य की बहुत परवाह करते देखे जाते है। जीवन रेखा और हृदय रेखा दोनों दोहरी हों तो व्यक्ति को जीवन-साथी से बेहद प्रेम होता है। इनका जीवन साथी सुन्दर होता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन साथी के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते।

दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति को एक से अधिक आय के साधन पाये जाते हैं और कुछ भी नहीं तो ये नौकरी करने वाले होने पर साथ-साथ कोईदूसरा व्यापार करते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि ये अपने जीवन में बहुत ही सुन्दर स्थिति बना लेते है। ऐसे व्यक्ति जो भी काम करते हैं उत्तम प्रकारके करते हैं। सम्पत्ति ऐसे व्यक्ति अवश्य बना लेते है। जब तक सम्पत्ति नहीं बनती उस समय तक इनके मन में लगातार यह चाह रहती है और किसी न किसी प्रकार शीघ्र ही ये मकान आदि का निर्माण कर लेते हैं।

दोनों जीवन रेखाओं में से यदि किसी एक जीवन रेखा में दोष हो और दूसरी जीवन रेखा उस समय निर्दोष हो तो स्वास्थ्य व धन सम्बन्धी विपत्तिआती तो अवश्य है परन्तु बिना ही कोई विशेष कष्ट दिए निकल जाती है। यदि दोनों ही जीवन रेखाएं एक ही समय में दोषपूर्ण हों तो परिस्थिति वास्तवमें विचारणीय होती है, साथ ही मस्तिष्क रेखा में भी इस समय में दोष होने पर तो गम्भीरता से सोचने की आवश्यकता होती है। निश्चय ही इस समयव्यक्ति के ऊपर बड़ी विपत्ति आती है परन्तु दोहरी जीवन रेखा का स्वभाव खतरों से रक्षा करना है, अत: ये धैर्य से उस समय को पार कर जाते हैं।
दोहरी जीवन रेखा में एक लाल या काली हो तो व्यक्ति को शराब आदि की आदत होती है। ऐसे व्यक्ति नित्य प्रति इसका सेवन नियन्त्रण से करते हैं।

साभार


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